• मोड़ ब्राह्मण धर्मशाला

    मातंगी धाम, मंदसौर

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मातंगी देवी

मोढ़ेरा में स्थित मातंगी देवी, जिसे ब्राह्मणों की कुलदेवी माना जाता है, गुजरात राज्य के मेहसाना जिले में स्थित है। यह मंदिर गांधीनगर से लगभग 83.5 किलोमीटर दूर स्थित है। मातंगी देवी मंदिर गुजरात एवं देशभर में श्रद्धालुओं के बीच काफी प्रसिद्ध है। मातंगी देवी मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है और ऐसी मान्यता है कि यह मंदिर महाभारत काल से पहले से मौजूद है। मातंगी देवी को वांछित फल प्रदान करने वाली देवी माना जाता है | मातंगी माता की स्थापना गुजरात के अतिरिक्त झाबुआ, उदयपुर, तथा मंदसौर में है | मातंगी देवी मंदिर में हर साल धार्मिक आयोजन भी होते हैं, मातंगी देवी की कृपा और आशीर्वाद सभी पर बनी रहें|

धर्मशाला

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कार्यकारिणी

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माँ मातंगी धाम

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माँ मोढ़ेश्वरी

मातंगी धाम, मंदसौर

पूर्वजों के आशीर्वाद एवं संकल्पों की बदौलत, सभी के प्रयासों एकं सहयोग (तन, मन, धन ) की भावना के अनुरूप माँ कुलदेवी मोढ़ेश्वरी प्रतिमा (मूर्ति ) की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन 28 जनवरी 2024 को किया गया |

और जानें

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शिलालेख

मोड़ ब्राह्मण समाज के कई सदस्यों ने अपने पूर्वजों की स्मृति में धर्मशाला के विकास एवं निर्माण हेतु दान दिया है एवं कई लोगों ने गुप्त दान भी दिया है। उन्ही स्मृतियों को ध्यान में रखते हुए धर्मशाला में कई जगह पर शिलालेख लगाए गए हैं


शिलालेख
01

अध्यक्ष

वर्तमान समय में मोड़ ब्राम्हण समाज के अध्यक्ष श्री संजीव जी त्रिवेदी जी हैं एवं उपाध्यक्ष श्री राजेंद्र जी मोड़ हैं
02

दर्शन

मातंगी धाम मंदिर में पूजा आरती का समय प्रातः 7 बजे एवं संध्या आरती का समय 7:30 हैं
03

मुख्य पंडित

मातंगी धाम मंदिर में पूजा एवं आरती का कार्य पंडित लक्की जी शर्मा के द्वारा किया जाता हैं
04

आगामी कार्यक्रम

मातंगी धाम मंदिर में आने वाली नवरात्री के दौरान कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा

अध्यक्ष की कलम से

मोड ब्राह्मण समाज की शुरुआत 1920 में सीतामऊ से आकर बसे दो परिवारों से हुई। धीरे-धीरे आसपास के गांव और शहरों से यहां लोग आकर बसते रहे और वर्तमान में मोड़ ब्राह्मण समाज के 110 से 115 परिवार यहाँ है | 2002 में समाज के सभी लोगों ने विचार कर चार भूखंड 25 बाई 40 की साइज के थे, उन्हें क्रय किया जो अभिनन्दन क्रमांक 2 मे स्थित है। धीरे-धीरे पैसा इकट्ठा करते हुए इसे एक धर्मशाला का रूप दिया। वर्तमान में उपरोक्त धर्मशाला का समय-समय पर विभिन्न अध्यक्ष के कार्यकाल में रूपांतरण होता रहा।

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वर्तमान अध्यक्ष श्री संजीव त्रिवेदी के कार्यकाल में जीर्णोद्धार पुनः हुआ और वर्तमान में मातंगी धाम की स्थापना भी की गई | प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के पश्चात धर्मशाला का स्वरूप आज सबके सामने है, जिसमे समाज के सभी बाहर से पधारे व्यक्ति द्वारा दान दिए गए। धर्मशाला अब मातंग की धर्म के रूप में परिवर्तित हो गई है। मैं आशा करता हूं कि समाज इसी तरह से यह भी अपना योगदान देता रहेगा और धर्मशाला और आगे बढ़ती रहेगी

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मोड ब्राह्मण समाज की शुरुआत 1920 में सीतामऊ से आकर बसे दो परिवारों से हुई। धीरे-धीरे आसपास के गांव और शहरों से यहां लोग आकर बसते रहे और वर्तमान में मोड़ ब्राह्मण समाज के 110 से 115 परिवार यहाँ है | 2002 में समाज के सभी लोगों ने विचार कर चार भूखंड 25 बाई 40 की साइज के थे, उन्हें क्रय किया जो अभिनन्दन क्रमांक 2 मे स्थित है। धीरे-धीरे पैसा इकट्ठा करते हुए इसे एक धर्मशाला का रूप दिया। वर्तमान में उपरोक्त धर्मशाला का समय-समय पर विभिन्न अध्यक्ष के कार्यकाल में रूपांतरण होता रहा।

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वर्तमान अध्यक्ष श्री संजीव त्रिवेदी के कार्यकाल में जीर्णोद्धार पुनः हुआ और वर्तमान में मातंगी धाम की स्थापना भी की गई | प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के पश्चात धर्मशाला का स्वरूप आज सबके सामने है, जिसमे समाज के सभी बाहर से पधारे व्यक्ति द्वारा दान दिए गए। धर्मशाला अब मातंग की धर्म के रूप में परिवर्तित हो गई है। मैं आशा करता हूं कि समाज इसी तरह से यह भी अपना योगदान देता रहेगा और धर्मशाला और आगे बढ़ती रहेगी

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