मातंगी मुद्रा: मन को शुद्ध करने और संवाद कौशल में सुधार के लिए
मातंगी मुद्रा: मन को शुद्ध करने और संवाद कौशल में सुधार के लिए |
मातंगी मुद्रा योग की एक शक्तिशाली मुद्रा है जो मन को शुद्ध करने, संवाद कौशल में सुधार करने और आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करती है। यह मुद्रा देवी मातंगी से जुड़ी है, जिन्हें ज्ञान, संगीत और वाग्मिता की देवी माना जाता है।
मातंगी मुद्रा कैसे करें:
- आरामदायक बैठें: पद्मासन या सुखासन जैसी आरामदायक स्थिति में बैठें।
- हाथों को रखें: दोनों हाथों को घुटनों पर रखें।
- अंगुलियों को मोड़ें: दाहिने हाथ की तर्जनी को हथेली के अंदर की ओर मोड़ें और अंगूठे से हथेली के नीचे दबाएं। बाएं हाथ की अनामिका को हथेली के अंदर की ओर मोड़ें और अंगूठे से हथेली के नीचे दबाएं।
- बाकी उंगलियां सीधी: बाकी सभी उंगलियां सीधी रखें।
- आँखें बंद करें: आँखें बंद करें और 5-10 मिनट तक गहरी साँस लें।
मातंगी मुद्रा के लाभ:
- मन को शुद्ध करता है: यह मुद्रा नकारात्मक विचारों और भावनाओं को दूर करती है।
- संवाद कौशल में सुधार: यह आत्मविश्वास बढ़ाता है और बोलने की स्पष्टता और अभिव्यक्ति में सुधार करता है।
- आंतरिक शक्ति: यह आंतरिक शक्ति और दृढ़ संकल्प को बढ़ाता है।
- सृजनात्मकता को बढ़ावा देता है: यह सृजनात्मकता और कल्पना को प्रोत्साहित करता है।
- आत्मविश्वास बढ़ाता है: यह आत्मविश्वास बढ़ाता है और आत्म-संदेह को दूर करता है।
मातंगी मुद्रा का अभ्यास करते समय ध्यान रखने योग्य बातें:
- खाली पेट: इसे खाली पेट अभ्यास करें।
- नियमित अभ्यास: इसे दिन में 5-10 मिनट तक दोहराएं।
- असुविधा महसूस होने पर: यदि आपको कोई असुविधा महसूस हो तो मुद्रा को तुरंत छोड़ दें।
मातंगी मुद्रा: मन, संवाद और आत्मविश्वास के लिए एक शक्तिशाली उपकरण।
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